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छुट्टियों का समय |
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हम सभी कुछ न कुछ प्लान बनाने में लगे रहते हैं, सपने बुनते हुए, अपने अगले अवकाश की प्रतीक्षा में। चाहे वह कोई साधारण सा सप्ताहांत हो या फिर सर्दियों की लम्बी छुट्टियां। छुट्टियां लेना कामकाजी जीवन का एक अहम् हिस्सा है, यह एक ऐसा समय जब लोग सोचते हैं कि आखिरकार अब वे आराम कर सकते हैं। और जब उनकी कार्य अवधि समाप्त हो जाती है तब समय आता है उस सेवानिवृत्ति का आनंद लेने का जिसकी कल्पना वे करते आए थे। लेकिन क्या ऐसा नहीं लगता कि वे जो कर रहे हैं, वह स्वयं से ही भागने का उपाय है? |
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यहां ओशो जीने के उस ढंग की बात कर रहे हैं जिसमें आप आनंद और विश्रांति की खोज इस क्षण में नहीं बल्कि कहीं बाहर करते हो। |
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“कुछ लोग अपना पूरा जीवन काम करते हैं और अपनी सेवानिवृत्ति की प्रतीक्षा करते हैं; कि तब वे विश्राम करेंगे और जीवन का आनंद लेंगे। और उन्हें अच्छे से पता है: वे दफ्तर में छह दिन तो काम करेंगे और सातवें दिन की प्रतीक्षा करेंगे, एक छुट्टी एक आशा में कि जल्द ही रविवार आएगा और हम विश्राम करेंगे, छुट्टी का आनंद लेंगे।’ लेकिन वे न तो विश्रांत हो पाते हैं और न ही कोई आनंद उठा पाते हैं – बल्कि असलियत में वह छुट्टी उन्हें इतनी लम्बी और बोरियत भरी लगती है; उन्हें उसे किसी बात से तो भरना होगा।” |
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ओशो, गाईडा स्पिरिचुएल, टॉक #1 |
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जीवन की खोज |
प्यास |
जीवन क्या है? उस जीवन के प्रति प्यास तभी पैदा हो सकती है, जब हमें यह स्पष्ट बोध हो जाए, हमारी चेतना इस बात को ग्रहण कर ले कि जिसे हम जीवन जान रहे हैं, वह जीवन नहीं है। जीवन को जीवन मान कर कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन की तरफ कैसे जाएगा? जीवन जब मृत्यु की भांति दिखाई पड़ता है, तो अचानक हमारे भीतर कोई प्यास, जो जन्म-जन्म से सोई हुई है, जाग कर खड़ी हो जाती है। हम दूसरे आदमी हो जाते हैं। आप वही हैं, जो आपकी प्यास है। अगर आपकी प्यास धन के लिए है, मकान के लिए है, अगर आपकी प्यास पद के लिए है, तो आप वही हैं, उसी कोटि के व्यक्ति हैं। अगर आपकी प्यास जीवन के लिए है, तो आप दूसरे व्यक्ति हो जाएंगे। आपका पुनर्जन्म हो जाएगा। ओशो |
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ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ार्ट साक्षात्कार |
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चेतन सुहाली, फिल्म प्रोडूसर, भारत |
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मेरे ओशो मिस्टिक रोज़ के अनुभव ने मुझे एक रहस्यमयी यात्रा द्वारा मुझे झूठ से वास्तविकता तक पहुंचा दिया है--मेरे ही भीतर के तलघरे में। मैं भूल चुकी थी कि एक बच्चे की भांति हंसना क्या होता है, गंभीरता ने मुझे हर दिशा से जकड़ा हुआ था, और मुझे उसका तब तक बोध नहीं हुआ जब तक कि मैं ऐसी नहीं हंसी जिसकी वजह से “साधारण” लोग मुझे पागल स्त्री का दर्जा दे सकते हों! ऊर्जा के बबूले तब तक मेरे पेट घूमते रहे जब तक कि मैं बेवजह हंसने न लग गई। |
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माह का ध्यान |
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पहला चरण: प्रति दिन सजगता |
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"प्रति दिन सामान्य क्रियाओं के बारे में सजग रहना सीखो, और जब अपनी सामान्य क्रियाएं कर रहे हो तब रिलैक्स रहो। तनाव लेने की कोई जरूरत नहीं है। जब तुम फर्श को धो रहे हो, तब तनावपूर्ण होने की क्या जरूरत? या जब तुम खाना बना रहे हो तब तनाव पूर्ण होने की क्या जरूरत? जीवन एक भी मौका ऐसा नहीं है जिसमें तुम्हारे तनाव की जरूरत है। यह सिर्फ तुम्हारी बेहोशी और तुम्हारे अधैर्य के कारण होता है। |
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माह का आलेख |
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खतरनाक ढंग से जीओ और सजग रहो |
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जब भी कोई विकल्प होता है तो जो सुविधाजनक या आरामदेह है, जिसे सामाजिक प्रतिष्ठा या सम्मान है उसको मत चुनो। उस बात को चुनो जिससे तुम्हारे हृदय में तरंग उठे। कुछ ऐसा चुनो कि तुम परिणामों के बावजूद उसे करना चाहोगे। |
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अगस्त, 2017 Newsletter |
OSHO International
Waterfront Business Centre, No 5, Lapps Key, Cork, Ireland |
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