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फरवरी, 2015
 
प्रेम होना
बात कठिन मालूम होती है यह सोच कर कि प्रेम कैसी-कैसी दुश्वारियां पैदा करता है। सजगता के साथ प्रेम करना और भय के बगैर रिश्ते बनाना अच्छा तो लगता है लेकिन उसकी शुरुआत कहां से करें?

ओशो कहते हैं, " प्रेम तुम्हारे जीवन में एक सचाई होनी चाहिए न कि कविता, न केवल एक स्वप्न। उसे वास्तविक होना चाहिए। प्रेम को पहली बार अनुभव करने में कभी देर नहीं होती।"

"प्रेम करना सीखो। बहुत कम लोग जानते हैं कि प्रेम कैसे करना। सभी जानते हैं कि प्रेम आवश्यक है, सभी जानते हैं कि प्रेम के बिना जीवन बेमानी है लेकिन वे नहीं जानते कि प्रेम कैसे किया जाए।"

हम यही चाहते हैं लेकिन दुबारा ठेस लगने से डरते हैं।

"प्रेम खतरे से खाली नहीं है। प्रेम करना खतरा मोल लेना है क्योंकि तुम उसे नियंत्रित नहीं कर सकते, वह सुरक्षित नहीं है। तुम्हारे हाथ में नहीं है। उसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। वहां कहां ले जाए कोई नहीं जानता। वह कहां ले जाएगा यह भी कोई नहीं जानता।"
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प्रेम क्या है
आंसू दुख के भी होते हैं, आनंद के भी। दुख के आंसू तो मिट जाते हैं; आनंद के आंसू अमृत हैं, उनके मिटने का कोई उपाय नहीं, कोई आवश्यकता भी नहीं। आनंद में आंसू झरें, इससे ज्यादा शुभ और कोई लक्षण नहीं है। आनंद में हंसना इतना गहरा नहीं जाता, जितना आनंद में रोना गहरा जाता है। मुस्कुराहट परिधि पर उठी हुई तरंगें हैं; और आंसू तो आते हैं अंतर्गर्भ से, अंतर्तम से। आंसू जब हंसते हैं तो केंद्र और परिधि का मिलन होता है। आंसू जब हंसते हैं तो मोती हो जाते हैं। ये आंसू तो आनंद के हैं, प्रेम के हैं, प्रार्थना के हैं, पूजा के हैं, ध्यान के हैं, अहोभाव के हैं।

तू कहती है: ‘आपकी पहली मुलाकात आंसुओं से हुई थी।’ बहुतों की पहली मुलाकात मुझसे आंसुओं से ही हुई है। और जिनकी पहली मुलाकात आंसुओं से नहीं हुई है, उनकी मुलाकात अभी हुई ही नहीं; जब भी होगी, आंसुओं से होगी। आंसू, तुम्हारे भीतर कुछ पिघला, इसकी सूचना है; कुछ गला; अहंकार जो जमा है बर्फ की तरह,…
 
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माह का ध्यान
सब कुछ आपके केंद्र में लौटता है।
" किसी वृक्ष के नीचे बैठ जाओ। हवा बह रही है और वृक्ष के पत्तों में सरसराहट की आवाज हो रही है। हवा तुम्हें छूती है, तुम्हारे चारों तरफ डोलती है और गुजर जाती है। लेकिन तुम उसे ऐसे ही मत गुजर जाने दो; उसे अपने भीतर प्रवेश करने दो और अपने में होकर गुजरने दो। आंखें बंद कर लो और जैसे हवा वृक्ष से होकर गुजरे और पत्तों में सरसराहट हो, तुम भाव करो कि मैं भी वृक्ष के समान खुला हुआ हूं और हवा मुझमें भी होकर बह रही है--मेरे आस-पास से नहीं, ठीक मेरे भीतर से होकर बह रही है। वृक्ष की सरसराहट तुम्हें अपने भीतर अनुभव होगी और तुम्हें लगेगा कि मेरे शरीर के रंध्र-रंध्र से हवा गुजर रही है…"
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ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट साक्षात्कार
डेविड फुलर, यू के डाकुमेन्टरी मेकर
ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ार्ट एक ऐसी जगह है जहां मैं अपना व्यक्तित्व, अपेक्षाएं और पुराने संस्कार छोड़ रहा हूं। यहां जो ध्यान प्रयोग होते हैं, कोर्सेस और सैशन्स होते हैं उनमें तथा उत्सवों में शामिल होकर मैं धीरे-धीरे अपने अहंकार को मिटाना सीख रहा हूं। इस न्यूज़ लैटर का विषय है प्रेम। प्रेम मेरे पास स्वाभाविक रूप से आता है जब मैं अनावश्यक बातों को छोड़ देता हूं। यह स्थान वर्षों से प्रेम में भीगा हुआ है, मैं उसे महसूस कर सकता हूं। जैसे मैं प्रवेश द्वार से अंदर आता हूं वैसे ही मुझे प्रतीत होता है कि यहां प्रेम बसता है, सूक्ष्म लेकिन….
 
 
 
SALVADOR FRANK D'ANVERQUE
 
 
 
ताज़ा खबरें
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन में अंतरराष्ट्रीय स्टार इरफान खान
हाल ही में बॉलीवुड और हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता इरफान खान ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट आए थे। वे ओशो को बहुत गहराई से पढ़ते हैं और उनके विचारों के कायल हैं। यहां की खूबसूरत आबोहवा में कुछ वक्त गुज़ारने के बाद उन्होंने लिखा, ‘‘मैं ओशो के ऊर्जा क्षेत्र में पहली बार रहा।….
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ओशो नो थॉट ऑफ दि डे
आज का अ-विचार iOS का ऐप हर सुबह ओशो की गहरी आवाज में एक नई अंतर्दृष्टि को सुनें "अस्तित्व एक अनवरत चेतावनी है – इन संदेशों को सुनने के लिए संवेदनशील और जागरूक होना पड़ता है।" ओशो नो थॉट ऑफ दि डे® प्रतिदिन आपको एक नया संदेश देता है, जिसमें से आप ऽपने मनपसंद संदेश सेव कर सकते हैं।
 
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पुरस्कार प्राप्त ओशो ज़ेन टैरो
पुरस्कार प्राप्त ओशो ज़ेन टैरो परंपरागत टैरो का रवैया होता है भूत और भविष्य के बारे में जानना, लेकिन ओशो ज़ेन टैरो हमारा ध्यान उस अवचेतन मन पर केंद्रित करता है जो अभी और यहीं होता है। यह प्रणालि ज़ेन प्रज्ञा पर आधारित है। यह प्रज्ञा कहती है कि बाहर जो घटनाएं घटती हैं वे सिर्फ हमारे भीतर के विचार और.…
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ओशो ग्लिम्प्स मुंबई- एक सुंदर प्रयास
मुंबई स्थित अल्टामाउन्ट रोड के समृद्ध हिस्से में हाल ही में ओशो ग्लिम्प्स पुस्तक केंद्र खुला है। मुंबई में ऐसे स्थान की जरूरत महसूस हो रही थी कि आसानी से ओशो की पुस्तकें और ऑडियो वीडियो मिल जाएं।
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