Trouble viewing this email? Click here.
Max Newyour life
  ऑनलाइन संस्करण    |    सदस्यता लें    |    किसी मित्र को भेजें    |    OSHO.com दौरा
इंटरनेशनल न्यूज़लेटर
जुलाई, 2014
 
मुख्य आलेख – आपका मूल लक्षण
माह का ध्यान – अस्तित्व की उपस्थिति को अनुभव करें
बॉडी धर्म – श्वास: एक नये आयाम का द्वार
इमोशनल इकोलॉजी – हृदय संबंधी–जन्मत: जंगली
साक्षात्कार – एकता
 
 
आपका मूल लक्षण
मुझे अपने मित्र की मद्यपान की आदत के बारे में बहुत चिंता है।
"दूसरे की किसी बात को लेकर सोचो मत।

"और तुम यही सोचते रहते हो। निन्यानबे प्रतिशत बातें जो तुम सोचते हो उनका लेना-देना दूसरों से रहता है। छोड़ दो, उन्हें इसी वक्त छोड़ दो!

"तुम्हारा जीवन बहुत छोटा है, और जीवन हाथों से फिसला जा रहा है। हर घड़ी तुम कम हो रहे हो, हर दिन तुम कम हो रहे हो, और हर दिन तुम कम जीवित होते जाते हो! हर जन्म-दिन तुम्हारा मरण-दिन है; तुम्हारे हाथों से एक वर्ष और फिसल गया। कुछ और प्रज्ञावान बनो।

"जिस बात का लेना-देना दूसरों से है, उसके बारे में मत सोचें। पहले अपनी मुख्य दुर्बलता के विपरीत अभ्यास करें…"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  pinterest  Google +
 
 
अस्तित्व की उपस्थिति को अनुभव करें
"यह विधि आंतरिक संवेदना पर
 
आधारित है। पहले अपनी संवेदन-शक्ति को बढ़ाएं। अपने द्वार बंद कर लें, कमरे में अंधेरा कर लें और मोमबत्ती जला लें। मोमबत्ती के पास प्रेमपूर्वक बैठ जाएं--बल्कि प्रार्थनापूर्ण भाव से। पहले नहा लें, अपनी आंखों पर ठंडा पानी फेंकें, फिर प्रार्थनापूर्ण भाव से मोमबती के सामने बैठें। इसे देखें, शेष सब भूल जाएं। बस इस छोटी सी मोमबत्ती को--मोमबत्ती व उसकी ज्योति को। इसे निहारते रहें। पांच मिनट में तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि मोमबत्ती की लौ में बहुत कुछ बदल रहा है। ध्यान रहे, मोमबत्ती की लौ में कुछ नहीं बदला, वह सब कुछ तुम्हारी आंखों में बदल रहा है।

"प्रेमपूर्ण भाव से, पूरे संसार को बाहर रखे हुए, संपूर्ण एकाग्रता से, प्रेमपूर्ण हृदय से मोमबत्ती व उसकी लौ को निहारते रहें। तुम लौ के आस-पास नये रंग पाओगे-- ऐसे रंग, जो पहले तुम कभी नहीं देख पाए …"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  pinterest  Google +
 
 
एकता
ओशो कहते हैं, "प्रेम और स्वतंत्रता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह एक ही फूल है, और यह केवल तभी खिलता है जब दोनों को महत्व और इज्जत दी जाए।" ओशो न्यूजलेटर के माध्यम से पिछले साल मैं ओशो के इस कथन को जान पाई और यह मुझे पत्थर की तरह आ कर लगा। शायद यह वही था जिसे मैं अपने
 
जीवन में खोज रही थी। मेरा नाम एकता है, मैं नयी दिल्ली की पर्ल एकेडमी आफ फैशन ग्रेजुएशन करने के बाद से कपडों एक बड़ा शोरूम चला रही हूं, एक फैमिली स्टोर, लेकिन मेरे काम के लिए मुझे कभी कोई प्रशंसा नहीं मिली। आप जितनी भी विलासिताएं सोच सकते हैं मेरे पास हैं, लेकिन उन्हें भोगने की स्वतंत्रता नहीं है। मेरे परिवार वाले कहते हैं कि वे मुझे बहुत प्रेम करते हैं, लेकिन उनके प्रेम में मेरी स्वतंत्रता शामिल नहीं है; वे चाहते हैं कि मैं एक सामाजिक प्राणी बनकर रहूं, बस एक दिखावा।…"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  pinterest  Google +
 
 
हृदय संबंधी – जन्मत: जंगली
तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है| तुम जीवन पर विश्वास
 
नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी। और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर लेते हो केवल तब ही चीजें सही होने लगती हैं; मानो तुम्हें हमेशा सारी चीजों को प्रयत्न पूर्वक सम्हालना होगा| शायद इन सबमें तुम्हारे बचपन की किसी कंडीशनिंग ने मदद की हो | उससे काफी नुकसान हो चुका है, क्योंकि जब कोई व्यक्ति प्रत्येक चीज को नियंत्रित करने लगता है, तब वह जीवन को बहुत कम जीता है| "जीवन एक ऐसी विशाल घटना है, उस पर नियंत्रण असंभव है| और अगर तुम सच में ही उस पर नियंत्रण करना चाहते हो तो तुम्हें उसको बिलकुल सीमित करना होगा; केवल तब ही तुम उस पर नियंत्रण कर सकते हो| अन्यथा जीवन तो निरंकुश है…"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  Mixx  Google +
 
 
श्वास: एक नये आयाम का द्वार
हम जन्म के क्षण से मृत्यु के क्षण तक निरन्तर श्वास ले रहे है। इस दो
 
बिन्दुओं के मध्य सब परिवर्तित होता रहता है।

सब कुछ परिवर्तित होता है, कुछ भी एक सा नहीं रहता।

जन्म और मृत्यु के मध्य केवल श्वास ही स्थायी तत्व है।

"बच्चा युवा होगा; युवा वृद्ध हो जायेगा। वह अस्वस्थ हो जायेगा, उसका शरीर विकृत हो जाएगा, बीमार; सब कुछ बदल जाएगा। वह प्रसन्न होगा, अप्रसन्न होगा, परेशान होगा; सब कुछ बदलता रहेगा। लेकिन चाहे जो कुछ भी इन दो बिन्दुओं के मध्य घटता रहे, श्वास चलती रहेगी। चाहे प्रसन्न या अप्रसन्न, युवा या वृद्ध, सफल या असफल, तुम चाहे जो हो, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता, एक बात निश्चित है: जन्म और मृत्यु के मध्य तुम्हें श्वास लेनी पड़ेगी…"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  pinterest  Google +
 
2014 मानसून फेस्टिवल - संगीत और ध्यान
पुरस्कार प्राप्त ओशो ज़ेन टैरो अब नौ भाषाओं में उपलब्ध
ओशो ट्रान्स्फेर्मेशन टैरो – iOS
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट को 2014 का उत्कृष्टता का प्रमाणपत्र मिला
ओशो दैनिक हिन्दुस्तान : स्वयं में डूबो तो मिलेंगे प्रभु
 
हमारे वर्तमान बेस्ट सेलर्स
ज्यूं मछली बिन नीर
ओशो द्वारा प्रश्नोत्तर प्रवचनमाला के अंतर्गत दिए गए दस अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन।

‘आनंद हमारा स्वभाव है। स्वभाव के अनुसार जब कोई चलता है तो आनंद घटता है और स्वभाव के प्रतिकूल जब
 
कोई चलता है तो दुख। दुख और सुख की परिभाषा खयाल रखना। सुख का अर्थ : स्वभाव के अनुकूल। कभी भूल-चूक से जब तुम स्वभाव के अनुकूल पड़ जाते हो तो सुख होता है।’ ओशो के...
 
Share It:
Facebook  Twitter  Mixx  Google +
 
 
 
 
 
लिविंग इन रेसिडेन्शियल कार्यक्रम

 
 
           
 
लोकप्रिय लिंक्स
ज़ेन टैरो / कुंडली
मेडिटेशन
मेडिटेशन रिज़ॉर्ट / मल्टीवर्सिटी
लाइब्रेरी / शॉप
ओशो के बारे में सब कुछ
सदस्यता / सदस्यता रद्द
संपर्क करें
किसी मित्र को भेजें
ओशो के बारे में सब कुछ
सूचना पत्र संग्रह
CONNECT
Facebook Twitter
Pinterest Google Plus
© 2014 OSHO International
Copyright & Trademark Information
 
जुलाई 2014 Newsletter
OSHO International
Waterfront Business Centre, No 5, Lapps Key, Cork, Ireland
आप एक दोस्त के लिए यह ईमेल भेजना चाहेंगे?