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इंटरनेशनल न्यूज़लेटर |
जुलाई, 2014 |
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आपका मूल लक्षण |
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मुझे अपने मित्र की मद्यपान की आदत के बारे में बहुत चिंता है। |
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"दूसरे की किसी बात को लेकर सोचो मत।
"और तुम यही सोचते रहते हो। निन्यानबे प्रतिशत बातें जो तुम सोचते हो उनका लेना-देना दूसरों से रहता है। छोड़ दो, उन्हें इसी वक्त छोड़ दो!
"तुम्हारा जीवन बहुत छोटा है, और जीवन हाथों से फिसला जा रहा है। हर घड़ी तुम कम हो रहे हो, हर दिन तुम कम हो रहे हो, और हर दिन तुम कम जीवित होते जाते हो! हर जन्म-दिन तुम्हारा मरण-दिन है; तुम्हारे हाथों से एक वर्ष और फिसल गया। कुछ और प्रज्ञावान बनो।
"जिस बात का लेना-देना दूसरों से है, उसके बारे में मत सोचें। पहले अपनी मुख्य दुर्बलता के विपरीत अभ्यास करें…" |
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आधारित है। पहले अपनी संवेदन-शक्ति को बढ़ाएं। अपने द्वार बंद कर लें, कमरे में अंधेरा कर लें और मोमबत्ती जला लें। मोमबत्ती के पास प्रेमपूर्वक बैठ जाएं--बल्कि प्रार्थनापूर्ण भाव से। पहले नहा लें, अपनी आंखों पर ठंडा पानी फेंकें, फिर प्रार्थनापूर्ण भाव से मोमबती के सामने बैठें। इसे देखें, शेष सब भूल जाएं। बस इस छोटी सी मोमबत्ती को--मोमबत्ती व उसकी ज्योति को। इसे निहारते रहें। पांच मिनट में तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि मोमबत्ती की लौ में बहुत कुछ बदल रहा है। ध्यान रहे, मोमबत्ती की लौ में कुछ नहीं बदला, वह सब कुछ तुम्हारी आंखों में बदल रहा है।
"प्रेमपूर्ण भाव से, पूरे संसार को बाहर रखे हुए, संपूर्ण एकाग्रता से, प्रेमपूर्ण हृदय से मोमबत्ती व उसकी लौ को निहारते रहें। तुम लौ के आस-पास नये रंग पाओगे-- ऐसे रंग, जो पहले तुम कभी नहीं देख पाए …" |
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एकता |
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ओशो कहते हैं, "प्रेम और स्वतंत्रता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह एक ही फूल है, और यह केवल तभी खिलता है जब दोनों को महत्व और इज्जत दी जाए।"
ओशो न्यूजलेटर के माध्यम से पिछले साल मैं ओशो के इस कथन को जान पाई और यह मुझे पत्थर की तरह आ कर लगा। शायद यह वही था जिसे मैं अपने |
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जीवन में खोज रही थी। मेरा नाम एकता है, मैं नयी दिल्ली की पर्ल एकेडमी आफ फैशन ग्रेजुएशन करने के बाद से कपडों एक बड़ा शोरूम चला रही हूं, एक फैमिली स्टोर, लेकिन मेरे काम के लिए मुझे कभी कोई प्रशंसा नहीं मिली। आप जितनी भी विलासिताएं सोच सकते हैं मेरे पास हैं, लेकिन उन्हें भोगने की स्वतंत्रता नहीं है। मेरे परिवार वाले कहते हैं कि वे मुझे बहुत प्रेम करते हैं, लेकिन उनके प्रेम में मेरी स्वतंत्रता शामिल नहीं है; वे चाहते हैं कि मैं एक सामाजिक प्राणी बनकर रहूं, बस एक दिखावा।…" |
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नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी। और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर लेते हो केवल तब ही चीजें सही होने लगती हैं; मानो तुम्हें हमेशा सारी चीजों को प्रयत्न पूर्वक सम्हालना होगा| शायद इन सबमें तुम्हारे बचपन की किसी कंडीशनिंग ने मदद की हो | उससे काफी नुकसान हो चुका है, क्योंकि जब कोई व्यक्ति प्रत्येक चीज को नियंत्रित करने लगता है, तब वह जीवन को बहुत कम जीता है|
"जीवन एक ऐसी विशाल घटना है, उस पर नियंत्रण असंभव है| और अगर तुम सच में ही उस पर नियंत्रण करना चाहते हो तो तुम्हें उसको बिलकुल सीमित करना होगा; केवल तब ही तुम उस पर नियंत्रण कर सकते हो| अन्यथा जीवन तो निरंकुश है…" |
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बिन्दुओं के मध्य सब परिवर्तित होता रहता है।
सब कुछ परिवर्तित होता है, कुछ भी एक सा नहीं रहता।
जन्म और मृत्यु के मध्य केवल श्वास ही स्थायी तत्व है।
"बच्चा युवा होगा; युवा वृद्ध हो जायेगा। वह अस्वस्थ हो जायेगा, उसका शरीर विकृत हो जाएगा, बीमार; सब कुछ बदल जाएगा। वह प्रसन्न होगा, अप्रसन्न होगा, परेशान होगा; सब कुछ बदलता रहेगा। लेकिन चाहे जो कुछ भी इन दो बिन्दुओं के मध्य घटता रहे, श्वास चलती रहेगी। चाहे प्रसन्न या अप्रसन्न, युवा या वृद्ध, सफल या असफल, तुम चाहे जो हो, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता, एक बात निश्चित है: जन्म और मृत्यु के मध्य तुम्हें श्वास लेनी पड़ेगी…" |
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हमारे वर्तमान बेस्ट सेलर्स |
ज्यूं मछली बिन नीर |
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ओशो द्वारा प्रश्नोत्तर प्रवचनमाला के अंतर्गत दिए गए दस अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन।
‘आनंद हमारा स्वभाव है। स्वभाव के अनुसार जब कोई चलता है तो आनंद घटता है और स्वभाव के प्रतिकूल जब |
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कोई चलता है तो दुख। दुख और सुख की परिभाषा खयाल रखना। सुख का अर्थ : स्वभाव के अनुकूल। कभी भूल-चूक से जब तुम स्वभाव के अनुकूल पड़ जाते हो तो सुख होता है।’ ओशो के... |
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