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नवंबर, 2014
हाल ही में मशहूर माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के मुखिया सत्य नडेला ने एक सम्मेलन में कामकाजी स्त्रियों के संबंध में एक वक्तव्य दिया और दुनिया भर की स्त्रियों में खलबली मच गई। अवसर था कम्प्यूटर क्षेत्र में जो स्त्रियां काम कर रही हैं उनके सम्मान में आयोजित एक सम्मेलन का। माइक्रोसॉफ्ट की ही एक निदेशिका ने सत्य नडेला के साथ एक सार्वजनिक वार्तालाप किया गया जिसमें उनसे सवाल पूछा कि कंपनी में स्त्री और पुरुषों की तनख्वाह में फर्क क्यों है? एक ही काम के लिए स्त्री को पुरुष से 78% कम पैसे मिलते हैं। नडेला ने शायद बिना सोचे-समझे उत्तर दिया, " सवाल पदोन्नति या अधिक तनख्वाह को मांगने का नहीं है, बल्कि व्यवस्था में यह विश्वास रखने का है कि आपको उचित समय पर उचित तनख्वाह दी जाएगी। यदि आपने अच्छे कर्म किए हैं तो आपको उसका फल मिलेगा।"
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नारी और क्रांति
नारी के जीवन में क्रांति लाने के कुछ सूत्र

नारी-मुक्ति के आंदोलन ने सतही रूप में नारी को उसकी परतंत्रता से मुक्त करने का दावा तो भरा लेकिन यह एक रिएक्शन बन कर रह गया। परिणाम—पुरुष से घृणा। छह प्रवचनों की यह छोटी सी संग्रह| नारी के वास्तविक अस्तित्व का आईना है—किसी रिश्ते के रूप में नहीं, बस नारी के रूप में। तब वह कोई भी रूप हो—मां, बहन, प्रेमिका या बेटी—वह अपना प्रेम, अपनी ऊर्जा को सभी में सम्प्रेषित करने की क्षमता रखती है। सदियों ‍के इतिहास में कोई भी ऐसा प्रबुद्ध पुरुष न ‍हुआ जो नारी का वास्तविक कल्याणमित्र हो। ओशो ने नारी को उसकी जंजीरों से, उसकी बैसाखियों से इस प्रकार मुक्त किया है कि वह अपने पैरों पर चलने का अर्थ यह नहीं नि‍कालती कि अब उसे पुरुष की आवश्यकता नहीं बल्कि पुरुष के साथ-साथ चलने की उसकी गति भी छंदबद्ध हो जाती है। उन दोनों के संबंध संगीतपूर्ण हो जाते हैं।"
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ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट साक्षात्कार
हरीश जयस्वाल, हिंदुस्तान
सबसे पहले मैं ओशो और ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट को बहुत धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इतनी सुंदर जगह बनाई । यहां मैंने 200% प्रतिशत जीना सीखा है-- 100% भीतर और 100% बाहर । यहां काम करते हुए एक और महत्वपूर्ण बात मैंने सीखी है वह यह, कि अपने आपको देखना, दूसरों को नहीं। संक्षेप में यह एक "वाह!" कहने जैसा अनुभव रहा। इतने सारे सुंदर लोगों के बीच मैं सीख रहा हूं कि जीवन कीमती है और उसे नृत्य, गायन, हास्य, मौन और साक्षीभाव के साथ गुजारना है। मैं एक व्यावसायिक फोटोग्राफर हूं और यहां भी कुछ फोटोग्राफी सिखाता हूं जो कि बहुत आनंदपूर्ण है।
   
वेरिता, कनाडा
मैं ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट में क्रिएटिव लिविंग कार्यक्रम में सहभागी हूं। पहली बार यहां आई हूं, सिर्फ एक दिन के लिए आई थी लेकिन पता नहीं कैसे, सीधे तीन महीने के कार्यक्रम में शामिल हो गई। मैंने पाया कि यहां पर खुद को विकसित करने के इतने अवसर हैं जितने और कहीं भी नहीं हैं। मेडिटेशन रिज़ॉर्ट किसी स्वर्ग से कम नहीं है। ओशो के ध्यान बहुत मददगार हैं, जीवंत हैं और प्रभावशाली हैं। वे अपने आपमें परिपूर्ण हैं। शायद इसीलिए मैं प्रति दिन खुद में परिवर्तन पा रही हूं।
ताज़ा खबरें
पुरस्कार प्राप्त ओशो ज़ेन टैरो
परंपरागत टैरो का रवैया होता है भूत और भविष्य के बारे में जानना, लेकिन ओशो ज़ेन टैरो हमारा ध्यान उस अवचेतन मन पर केंद्रित करता है जो अभी और यहीं होता है। यह प्रणालि ज़ेन प्रज्ञा पर आधारित है। यह प्रज्ञा कहती है कि बाहर जो घटनाएं घटती हैं वे सिर्फ हमारे भीतर के विचार और.…
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ओशो: ध्यान में एक कोर्स – विश्व भर में ध्यानियों के साथ सफल
इस कोर्स में 212 देशों के 112,000 ध्यानियों को, जो इन प्रयोगों में सहभागी हुए थे, ओशो ध्यान विधियों के बारे में उनके अनुभव साझा करने को कहा गया था। उनकी सभी कहानियां आश्चर्य जनक और हृदयस्पर्शी हैं। आनेवाले दिनों में उनमें से कुछ हम प्रस्तुत करेंगे। ओशो टाइम्स ब्लॉग पर आप इन विधियों को पढ़ सकते हैं.…
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नए प्रकाशन : सुनो भाई साधो
ओशो द्वारा प्रश्नोत्तर प्रवचनमाला के अंतर्गत दिए गए दस प्रवचनों का संकलन

सत्य जब बोलता है तो कोहराम मच जाता है अंधेरे तलघरों में। सत्य पर प्रहार होते हैं कि वह मुखर न हो सके--और इस सबके बीच सत्य और महिमामंडित होकर खिलता है। यह पुस्तक रेखांकन है इसी जीवंत घटना का।

"कबीर अनूठे हैं। और प्रत्येक के लिए उनके द्वारा आशा का द्वार खुलता है। क्योंकि कबीर से ज्यादा साधारण आदमी खोजना कठिन है। और अगर कबीर पहुंच सकते हैं, तो सभी पहुंच सकते हैं। कबीर निपट गंवार हैं, इसलिए गंवार के लिए भी आशा है; बे-पढ़े-लिखे हैं, इसलिए पढ़े-लिखे होने से सत्य का कोई भी संबंध नहीं है। " – ओशो
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मंथन से ही मिलता है अमृत
"जो लोग कठिनाइयों से ही घबराकर जीवन को दोष देने लगते हैं वे अपने जीवन के सागर का मंथन नहीं करते। विष के बाद ही अमृत निकलता है। एक जीवन है जो तुमने अंधे की तरह देखा, वह विषवत है। और एक जीवन वह है जो तुम आंख खोलकर देखोगे, वह अमृत होगा।"
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चमत्कार: वैज्ञानिक चित्त का अभाव
"हर आदमी के अंदर विचार की तरंगें मौजूद हैं, वह पकड़ी जा रही हैं लेकिन इसका विज्ञान अभी साफ न होने की वजह से कुछ मदारी इसका उपयोग कर रहे हैं। इन सारी की सारी बातों में कोई चमत्कार नहीं है। न चमत्कार कभी पृथ्वी पर हुआ, न कभी होगा। चमत्कार सिर्प एक है कि अज्ञान है, बस और कोई चमत्कार नहीं है।"
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