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न्यूज़लैटर
अक्टूबर, 2017
 
 
टेक्नालॉजी पर कुछ अन्य विचार
हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हमारी निर्भरता टेक्नालॉजी पर तेजी से बढ़ रही है, और इसका उपयोग, जैसा कि हम जानते हैं, हजारों हैं। यही न्यूजलेटर, उदहारण के लिए, आपके सबसे लोकप्रिय अभिव्यक्तियों में से एक--इंटरनेट द्वारा ही आप तक पहुंचाया जाता है। हम टेक्नालॉजी का इस्तेमाल जीवन के बहुत से आयामों में करते हैं, किसी से बातचीत करने के लिए, खाना पकाने के लिए, अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए, यहां तक के अपने ध्यान का समय नियत करने के लिए—इसके बिना हम जाएंगे कहां? क्या टेक्नालॉजी का यह संसार चेतना के विरोध में है, या यह हमारे लिए और अधिक होशपूर्ण होने में सहायक हो सकता है?
“तुम्हारे आस-पास हर वस्तु का मशीनीकरण हो जाने के कारण तुम्हें ऐसा लगने लगा है कि तुम भी और कुछ नहीं बल्कि बस एक मशीन हो। तुम हमेशा मशीन ही थे। संबुद्ध लोग हमेशा तुमसे कहते आएं हैं कि तुम एक यंत्र की भांति जी रहे हो, कि अभी तुम मनुष्य नहीं बने, लेकिन इस बात को लेकर हमेशा भ्रांति बनी रही। आधुनिक संसार ने तुमसे आखिरी भ्रांति भी छीन ली है, उसने तुम्हें इस सत्य से अवगत करा दिया है कि तुम और कुछ नहीं बस एक मशीन हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम सक्षम हो या असक्षम, लेकिन तुम हो मशीन।
“ऐसा होना ही था, क्योंकि जब तुम मशीनों के साथ रहते हो, तभी तुम अपने मशीनी व्यक्तित्व के प्रति जागरूक हो पाते हो। तुम हमेशा वृक्षों के साथ, पशुओं के साथ और दूसरे मनुष्यों के साथ रहे हो, और हमेशा इसने तुम्हें एक झूठा आभास दिया कि स्वतंत्रता है। स्वतंत्रता केवल तब होती है जब तुम पूरी तरह से जागरूक होते हो।"
ओशो, दि सीक्रेट #16
 
     
 
ध्यान-सूत्र
"यदि परमात्मा को पाने का खयाल आपके भीतर एक लपट बन गया हो, तो उस खयाल को जल्दी कार्य में लगा देना। जो शुभ को करने में देर करता है, वह चूक जाता है। और जो अशुभ को करने में जल्दी करता है, वह भी चूक जाता है। शुभ को करने में जो देर करता है, वह चूक जाता है। और अशुभ को करने में जो जल्दी करता है, वह चूक जाता है।
जीवन का सूत्र यही है कि अशुभ को करते समय रुक जाओ और देर करो, और शुभ को करते समय देर मत करना और रुक मत जाना।" - ओशो
 
Book
 
     
 
माह का ध्यान
 
“जब तुम चिंता अनुभव करो, बहुत चिंताग्रस्त होओ, तब इस विधि का प्रयोग करो। इसके लिए क्या करना होगा? जब साधारणतः तुम्हें चिंता घेरती है तब तुम क्या करते हो? सामान्यतः क्या करते हो? तुम उसका हल ढूंढते हो; तुम उसके उपाय ढूंढते हो। लेकिन ऐसा करके तुम और भी चिंताग्रस्त हो जाते हो, तुम उपद्रव को बढ़ा लेते हो। क्योंकि विचार से चिंता का समाधान नहीं हो सकता है; विचार के द्वारा उसका विसर्जन नहीं हो सकता है। कारण यह है कि विचार खुद एक तरह की चिंता है।’ ओशो
 
     
 
माह का आलेख
 
एक बेहतर मानवीय टेक्नालॉजी
समाचार-पत्रों के शीर्षकों को देख कर हताश होना सहज है कि हम अपनी पृथ्वी के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं। आधुनिक टेक्नालॉजी के उपयोग के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन हमें गंभीर चेतावनी दे रही है, प्लास्टिक के कचरे के ढेर, प्रदूषण, और बहुत कुछ। और यह हास्यास्पद नहीं है कि इसकी बढ़ती संख्या के लिए हमें इस समाचार को हमारे ध्यान में लाया जाता है इस टेक्नालॉजी के माध्यम से! तो क्या वास्तव में आधुनिक टेक्नालॉजी बेकार है?
 
     
 
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