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ओशो म्युज़िक एन्ड मेडिटेशन फेस्टिवल 2014 |
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ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ार्ट में अगस्त महीने में अपरिसीम उत्सव और जश्न का माहौल था।
हिंदुस्तान के 120 शहरों से 1200 से अधिक लोग सहभागी होने के लिए आए थे। सहभागी अमृतसर से कन्याकुमारी तक और कोलकाता से कच्छ तक देश के हर प्रांत से इकट्ठे हुए थे।
मानो देश के कोने कोने से लोगों की बाढ़ सी चली आ रही थी। यहां जितनी ध्यान की विविधता थी उतनी ही रंगारंग कार्यक्रमों की भी। हर पद्रह मिनट बाद कोई न कोई ध्यान या कोई नृत्य संगीत होता। पांच दिनों के भीतर 85 ध्यान प्रयोग हुए और नौ लाइव संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रसिद्ध ड्रमर शिवमनी, युवा सितार वादक चिराग कट्टी, सरोद वादक शेखर बोरकर, तबलावादक उदय देशपांडे और कवाल गायक पवन नाईक ने ओशो प्लाज़ा तथा ऑडिटोरियम में संगीत की महफिलें जमाईं। |
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ओशो: ध्यान का एक कोर्स |
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अमरीका के एक मेन्टर चैनल ने ओशो की छोटी छोटी ध्यानविधियों को लेकर एक 21 दिन का ध्यान कोर्स बनाया है। विश्व भर में आप इसकी सदस्यता ग्रहण करें तो कहीं भी बैठकर सुन सकते हैं। इसे अभूतपूर्व सफलता मिली है और इस विश्व भर में 212 देशों में 110,000 सदस्य बने हैं। वातावरण में 21 दिन तक मानो एक गहन चेतना की तरंग छायी रई। लोग उन्नत अनुभव किए और उनके जीवन रूपांतरित हुए।
कुछ टिप्पणियां इस प्रकार हैं--
"ओशो, मैंने आपको कभी नहीं सुना था। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि मैं भी ध्यान कर सकता हूं आप के अभिनव और रचनात्मक सूत्रों के कारण। मेरे जीवन में प्रवेश करने के लिए धन्यवाद।" जड
" मैंने सभी इक्कीस ध्यान किए हैं लेकिन यही एक मेरे लिए योग्य लगता है। यह मेरे रोजमरां की जिंदगी में काम आएगा।" आस्था
"अपना अनुग्रह व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।" अनुपम
आप ओशो के प्रवचनांश के साथ इन 21 ध्यान विधियों को अपने पास सुरक्षित रख सकते हैं। |
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माह का ध्यान |
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स्वयं को वजन रहित अनुभव करो |
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जब बैठोगे तब ऐसा अनुभव करो कि तुम वजन रहित हो गए हो, तुम्हारा कोई वजन नहीं है। तुम्हें ऐसा लगेगा कि कहीं न कहीं कोई वजन है लेकिन वजन न होने को अनुभव करते रहो। वह आता है। एक क्षण आता है जब तुम अनुभव करते हो कि तुम वजन रहित हो, कि तुम्हारा कोई वजन नहीं है। जब कोई वजन अनुभव नहीं होता तब तुम शरीर नहीं होते, क्योंकि वजन शरीर का होता है, तुम्हारा नहीं। तुम वजन रहित हो।
तुम्हें स्वयं को सम्मोहन से अलग करना है।" मैं शरीर हूं और इसलिए मैं वजन को अनुभव करता हूं" ,यह एक तरह का सम्मोहन है। यदि इस सम्मोहन को गिरा सको कि तुम शरीर नहीं हो तो तुम शरीर के वजन को अनुभव नहीं करोगे। और जब तुम वजन अनुभव नहीं अक्रोगे तब तुम मन के पार जाओगे।
सिद्धासन की विधि, जिस तरह बुद्ध बैठते हैं, वजन रहित होने का सबसे बढ़िया तरीका है। जमीन पर बैठो, कुर्सी या और किसी आसन पर नहीं, सिर्फ जमीन पर। बुद्ध आसन में बैठकर, बद्ध -- तुम्हारे हाथ बंधे हुए, तुम्हारे पांव बंधे हुए, इससे सहयोग मिलता है क्योंकि तब तुम्हारी आंतरिक विद्युत एक सर्किट में घूमने लगती है। तुम्हारी रीढ़ सीधी रहे। अब तुम्हें पता लगेगा कि रीढ़ सीधी रखने पर इतना जोर क्यों दिया गया है। क्योंकि सीधी रीढ़ के साथ कम से कम जगह घेरी जाती है इसलिए गुरुत्वाकर्षण तुम पर कम प्रभाव डालता है। |
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ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ार्ट साक्षात्कार |
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बोधि माया |
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ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ार्ट में सब कुछ सहजता से बहता है: मित्रता, प्रेम, रचनात्मकता, संगीत, मौन और स्वादिष्ट भोजन। मेरे भीतर का कलाकार खिल रहा है। मैं गाती हूं, नाचती हूं और पियानो बजाती हूं और मुझें भीतर की नई गहराइयां महसूस हो रही हैं। ध्यान करने से मन एक साज़ बन जाता है। मैं चाहूं तो उसे बजाऊं, चाहे तो न बजाऊं। |
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एवजेनिया |
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जैसे ही मैं ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ार्ट आई मैं वर्क एज़ मेडिटेशन के लिविंग इन प्रोग्राम में दाखिल हुई। मुझे लगा अपनी जड़ें जमाने का वह सबसे अच्छा तरीका है, और ऐसा ही हुआ। दूसरे ही दिन मैं कपड़े बेचने की दुकान में काम करने लगी। मेरा अहंकार चीख चीख कर कह रहा था," मेरे पास बिज़नेस स्कूल की उच्चतम उपाधि है और मैं यहां रोब बेच रही हूं?" लेकिन शीघ्र ही मुझे यह समझ आई कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि मैं क्या कर रही हूं बल्कि यह कि मैं उसे कैसे करती हूं। |
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नई रिलीज |
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कठोपनिषद |
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ध्यान साधना शिविर, माउंट आबू में हुई प्रवचनमाला के अंतर्गत ओशो द्वारा नचिकेता यमराज के अनूठे संवाद कठोपनिषद पर दिए गए सत्रह प्रवचन |
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'मृत्यु, जिसे हम जीवन का अंत समझते हैं, उसी की चर्चा से प्रारंभ होता है यह कठोपनिषद। एक छोटे से बच्चे नचिकेता के निर्मल हृदय की व्यथा जो क्रुद्ध पिता के वचनों को स्वीकार करता है और अपने संकल्प के कारण मृत्यु से भी तीन वर अर्जित कर लेता है। एक प्रतीक के रूप में यह कथा प्रत्येक मनुष्य के सौभाग्य की कथा है जिसे ओशो ने अग्नि-विद्या के रूप में हमें दिया है। ओशो कहते हैः ‘यम ने जो नचिकेता को कहा था, वही मैंने आपको कहा है। नचिकेता को जो हुआ, वही आपको भी हो सकता है। लेकिन आपको कुछ करना पड़ेगा, मात्र सुनकर नहीं, उसे जीकर। जो सुना है, उस दिशा में थोड़े प्रयास, थोड़े प्रयत्न, थोड़े कदम उठाकर। बस बैठ न जाएं, सोचने न लगें। जितना.... |
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सितंबर 2014 Newsletter |
OSHO International
Waterfront Business Centre, No 5, Lapps Key, Cork, Ireland |
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