|
|
|
 |
|
|
सम्मोहन और ध्यान |
|
शब्द सम्मोहन में ही कुछ सम्मोहित करने जैसा है। वह कौतूहल, भय और आकर्षण पैदा करता है। वास्तव में यह क्या होता है? और इस शब्द का मूल क्या है? |
|
सम्मोहन का ख्याल अठाहरवीं शताब्दि के उपचारक फ्रान्ज़ ऐन्टन मेस्मेर को आया। इसका मूल शब्द है हिप्नोस, जो कि निद्रा का ग्रीक देवता है। मेस्मेरिज्म या सम्मोहन के अधिकांश तरीके उन दिनों नींद जैसी स्थिति पैदा करते थे। |
|
सम्मोहन के इर्दगिर्द निर्मित तमाम विवादों के बावजूद उपचारक सहमत हैं कि यह एक प्रभावशाली चिकित्सा का साधन हो सकता है जिससे बहुत किस्म की बीमारियां ठीक की जा सकती हैं; जैसे कि दर्द, चिंता और अन्य मनोदशाएं। सम्मोहन लोगों को उनकी आदतें बदलने में भी मदद कर सकता है। |
|
मजे की बात, ध्यान के जगत में इस शक्तिशाली साधन का उपयोग करने की दिशा में कोई खास खोजबीन नहीं की गई। इस महीने हम विभिन्न ओशो प्रवचनों के अंश प्रकाशित कर रहे हैं जो रिलैक्स होने और ध्यान को गहराने में सहयोगी हो सकते हैं। |
|
|
|
|
|
नहीं सांझ नहीं भोर |
चरणदास के पदों पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं दस ओशो टाक्स |
"अब तक दुनिया में दो ही तरह के धर्म रहे हैं--ध्यान के और प्रेम के। और वे दोनों अलग-अलग रहे हैं। इसलिए उनमें बड़ा विवाद रहा। क्योंकि वे बड़े विपरीत हैं। उनकी भाषा ही उलटी है। ध्यान का मार्ग विजय का, संघर्ष का, संकल्प का। प्रेम का मार्ग हार का, पराजय का, समर्पण का। उनमें मेल कैसे हो? इसलिए दुनिया में कभी किसी ने इसकी फिकर नहीं की कि दोनों के बीच मेल भी बिठाया जा सके। मेरा प्रयास यही है कि दोनों में कोई झगड़े की जरूरत नहीं है। एक ही मंदिर में दोनों तरह के लोग हो सकते हैं। उनको भी रास्ता हो, जो नाच कर जाना चाहते हैं। उनको भी रास्ता हो, जो मौन होकर जाना चाहते हैं। अपनी-अपनी रुचि के अनुकूल परमात्मा का रास्ता खोजना चाहिए।"
ओशो |
|
 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
माह का ध्यान |
|
 |
अस्तित्व की उपस्थिति को अनुभव करें |
|
" यह विधि आंतरिक संवेदना पर आधारित है।पहले अपनी संवेदन-शक्ति को बढ़ाएं। अपने द्वार बंद कर लें, कमरे में अंधेरा कर लें और मोमबत्ती जला लें। मोमबत्ती के पास प्रेमपूर्वक बैठ जाएं--बल्कि प्रार्थनापूर्ण भाव से। पहले नहा लें, अपनी आंखों पर ठंडा पानी फेंकें, फिर प्रार्थनापूर्ण भाव से मोमबती के सामने बैठें। इसे देखें, शेष सब भूल जाएं। बस इस छोटी सी मोमबत्ती को--मोमबत्ती व उसकी ज्योति को। इसे निहारते रहें। पांच मिनट में तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि मोमबत्ती की लौ में बहुत कुछ बदल रहा है। ध्यान रहे, मोमबत्ती की लौ में कुछ नहीं बदला, वह सब कुछ तुम्हारी आंखों में बदल रहा है…" |
|
|
|
|
|
|
|
ओशो इंटरनैशनल मेडिटेशन रिज़ार्ट साक्षात्कार |
|
 |
ज़ाहिरा, कानूनविद |
|
"ज़ाहिरा, क्या तुम एक पांवड़ा हो?" इस सवाल ने एक दर्पण का काम किया और मैं चौंककर देखने लगी कि क्या यह सच है? यह असर है पुणे में क्रिएटिव लिविंग कार्यक्रम में काम करने का । यहां काम करने का मतलब है प्रतिपल, प्रतिदिन हर काम में मैं अधिक जिम्मेदारी ले रही हूं। मेरे छोटे-छोटे घावों को उघाड़ना, और ध्यान को एकमात्र जीवन शैली बनाना यही मेरी यात्रा हो गई है। इस कार्यक्रम ने मुझे अपने अंतरतम का सीधा पता बता दिया है इसलिए अब बाहर या भीतर जो भी घटता है, मैं बस उसके केंद्र में बनी रहती हूं। इतना तो मैं सीख गई हूं। जैसे-जैसे मेरा काम और जिम्मेदारियां |
|
|
|
|
बढ़ती चली गईं वैसे-वैसे मेरी सजगता भी बढ़ती गई। न अतीत है न भविष्य, बस इस पल में ही समूचा रहस्य और सौंदर्य सिमट आया है। अब " लेट गो " और चीजों को होने देना मानो एक सहज सृजनात्मक शक्ति हो गई है। कहां तो मैं अपने पुराने संस्कारों में बंधी हुई थी और कहां अब प्रेम और स्वतंत्रता के आकाश में उड़ रही हूं। |
|
|
|
|
|
|
महीने की प्रस्तुति |
|
 |
सब कुछ तुम्हारे भीतर प्रवेश कर रहा है |
|
"किसी वृक्ष के नीचे बैठ जाओ। हवा बह रही है और वृक्ष के पत्तों में सरसराहट की आवाज हो रही है। हवा तुम्हें छूती है, तुम्हारे चारों तरफ डोलती है और गुजर जाती है। लेकिन तुम उसे ऐसे ही मत गुजर जाने दो; उसे अपने भीतर प्रवेश करने दो और अपने में होकर गुजरने दो। आंखें बंद कर लो और जैसे हवा वृक्ष से होकर गुजरे और पत्तों में सरसराहट हो, तुम भाव करो कि मैं भी वृक्ष के समान खुला हुआ हूं और हवा मुझमें भी होकर बह रही है--मेरे आस-पास से नहीं, ठीक मेरे भीतर से होकर बह रही है। वृक्ष की सरसराहट तुम्हें अपने भीतर अनुभव होगी और तुम्हें लगेगा कि मेरे शरीर के रंध‘-रंध‘ से हवा गुजर रही है… " |
|
|
|
|
|
|
 |
|
|
|
|
|
ओशो लिविंग इन कार्यक्रम |
|
 |
|
|
|
|
 |
|
|
|
|
|
|
|
नवंबर 2015 Newsletter |
OSHO International
Waterfront Business Centre, No 5, Lapps Key, Cork, Ireland |
आप एक दोस्त के लिए यह ईमेल भेजना चाहेंगे? |
 |
|
|
|