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इंटरनेशनल न्यूज़लेटर |
जून, 2014 |
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छिछले संबंधों वाली मानसिकता के पार |
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ओशो,
मैं जिस लड़की के साथ हूं उसके बारे में डर है। मुझे उसे खो देने का डर है … और यह मुझे एक गहरा रिश्ता रखने से रोकता है। शायद मैं अकेला हो जाने के डर से भयभीत हूं, या ऐसा ही कुछ।
" नहीं, डरो मत, गहरे जाओ। यह होगा क्योंकि जैसे ही तुम ज्यादा केंद्रित होते हो, तुम ज्यादा विश्रांत हो जाते हो, और तब रिश्ते में और ज्यादा गहरा जाने की संभावनाएं हैं।
"वास्तव में यह तुम हो जो रिश्ते में जा रहे हो। यदि तुम हो ही नहीं, चिंतित, असहाय, परेशान और खंड-खंड, तो कौन गहरा जाएगा? क्योंकि हमारी खंडितता की वजह से, हम वाकई रिश्तों में गहरे जाने से भयभीत होते हैं, गहरे स्तरों पर, क्योंकि तब हमारी वास्तविकता दिखती है। तब तुम्हें अपना हृदय खोलना होगा, और तुम्हारा हृदय सिर्फ खंड-खंड बंटा है। तुम्हारे अन्दर एक व्यक्ति नहीं है – तुम एक भीड़ हो। यदि तुम वाकई एक स्त्री से प्यार करते हो और तुम्हारा हृदय खुला हुआ है, वह सोचेगी कि तुम एक भीड़ हो, एक व्यक्ति नहीं – यही डर है…" |
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बत्ती बंद करके सोने की तैयारी में अपने बिस्तर पर बैठो पंद्रह मिनट तक। आंखें बंद करके कोई भी उबाऊ ध्वनि का उच्चारण शुरु करो, जैसे ला, ला, ला … और प्रतीक्षा करो कि मन नयी ध्वनियों का आविष्कार करे …"
"इतना ही ध्यान रखना है कि ये ध्वनियां या शब्द किसी जानी पहचानी भाषा के न हों। अगर तुम अंग्रेज़ी, जर्मन या इटालियन जानते हो तो वे इटालियन, जर्मन या अंग्रेज़ी न हों। कोई और भाषा जिसे तुम नहीं जानते वह चलेगी जैसे तिब्बती, चीनी, जापानी। लेकिन अगर तुम जापानी जानते हो तो उसकी अनुमति नहीं है, फिर इटालियन अच्छी होगी। जो भाषा नहीं जानते वह बोलो। …" |
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एलेक्स |
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पिछले डेढ़ साल से मैं चीन में रह रहा था और छोटे बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा रहा था। मैं काम में एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया था जहां मैंने महसूस किया कि मेरा आंतरिक रूप से उन्नति नहीं कर रहा हूं। रचनात्मकता तो जीवन से गायब ही हो गयी थी, मैं रोजमर्रा के ढर्रे में फंसा था, |
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और मैं एक मशीन की भांति जी रहा था –– स्कूल से घर और घर से स्कूल ।
मैं यूक्रेन में पैदा और बड़ा हुआ था। यूक्रेनियन मजबूत लोग होते हैं; वे मेहनत से काम करते हैं और वे जिंदा रहने का रास्ता ढूंढ ही लेते हैं। परिवार इतने मजबूत और अत्यधिक सम्माननीय नहीं होते जितने कि पूर्वीय देशों में।…" |
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ध्यान रहे ! |
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“स्वयं को झूठी पहचान से अलग करने के दो ही उपाय हैं| तुम वैसे ही नहीं हो, जैसा तुम सोचते रहे हो कि तुम हो, या महसूस |
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करते रहे, अथवा प्रक्षेपित करते रहे हो|
"तुम्हारी सजगता ही तुम हो।
"कुछ भी हो जाए--तुम केवल जागरूक ही बने रहते हो| तुम जागरूकता ही हो, इस पहचान को तोड़ा नहीं जा सकता| इस पहचान को नकारा नहीं जा सकता| बाकी सबको नकारा और फेंका जा सकता है…" |
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"तुम्हारा शरीर भूख अनुभव कर रहा है और तुम उपवास पर हो, क्योंकि तुम्हारा धर्म कहता है कि इस दिन तुम्हें उपवास करना है -- और तुम्हारा शरीर भूख अनुभव कर रहा है। तुम अपने संस्थान पर भरोसा नहीं करते, तुम एक मरे हुए शास्त्र पर भरोसा करते हो, क्योंकि किसी शास्त्र में किसी ने लिख दिया है कि इस दिन तुम्हें उपवास पर रहना है। इसलिए तुम उपवास करते हो।
"अपने शरीर की सुनो। हां, ऐसे दिन आते हैं जब शरीर कहता है, "उपवास पर रहो।'- तब उपवास करो। लेकिन शास्त्रों की सुनने की आवश्यकता नहीं है…" |
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हमारे वर्तमान बेस्ट सेलर्स |
साहेब मिल साहेब भये |
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समाधि या आत्मा की उपलब्धि का रास्ता बिलकुल ही वैसा है जैसे बगीचे में माली पौधे बोता है—बीज बोता है, सम्हालता है, खाद देता है, पानी देता है, सूरज की रोशनी की व्यवस्था करता है, सुरक्षा करता है उनकी कि उन्हें जंगली जानवर न चर जाएं, उन पर बाड़ बिठाल देता है, बागुड़ लगा देता है। फिर रोज-रोज उनकी प्रतीक्षा करता है कि वे बढ़ें, लंबी प्रतीक्षा के बाद उनमें फूल आते हैं।... |
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