Trouble viewing this email? Click here.
Max Newyour life
  ऑनलाइन संस्करण    |    सदस्यता लें    |    किसी मित्र को भेजें    |    OSHO.com दौरा
इंटरनेशनल न्यूज़लेटर
मार्च, 2014
 
मुख्य आलेख – प्रेम की विवशता
माह का ध्यान – चेहरे के तनाव की मुक्ति
बॉडी धर्म – अंतस की आंतरिक लय
इमोशनल इकोलॉजी – लोभ
साक्षात्कार – मैक्स
 
प्रेम की विवशता
जब भी तुम किसी को प्रेम करते हो तो तुम स्वयं को पूर्ण रूप से विवश पाते हो। प्रेम की यही पीड़ा है : व्यक्ति महसूस ही नहीं कर पाता कि वह क्या कर सकता है। तुम सब कुछ करना चाहते हो, तुम अपने प्रेमी या प्रेमिका को पूरा ब्रह्मांड देना चाहते हो,लेकिन तुम क्या कर पाते हो? यदि तुम यह निश्चय कर पाते हो कि तुम यह या वह कर सकते हो तो अभी प्रेम संबंध निर्मित नहीं हुआ। प्रेम बहुत विवश होता है, पूर्ण रुप से विवश, और यह विवशता ही इसकी खूबसूरती है, क्योंकि इस विवशता में तुम समर्पण कर पाते हो …"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  Mixx  Google +
 
 
चेहरे के तनाव की मुक्ति
हर रात सोने से पहले अपने बिस्तर पर बैठें और मुंह बनाना शुरू करें। ठीक वैसे ही जैसे छोटे बच्चे करते हैं और उसका
 
आनंद लेते हैं। तरह-तरह के चेहरे: अच्छे बुरे, सुंदर कुरूप, ताकि पूरा चेहरा और मांसपेशियां हिलने लगें। आवाजें निकालें, निरर्थक आवाजें। फिर दस पंद्रह मिनट के लिए झूमें, शरीर को हिलाएं। और फिर सो जाएं …"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  Mixx  Google +
 
 
मैक्स

"मैं ब्राजील के साओ पावलो में वर्ष 1980 में पैदा हुआ। जीवन के विषय में सदा खोजपूर्ण था, चौबीस वर्ष की उम्र में मैं पहली बार ओशो के संपर्क में आया, जब मैंने ओशो के एक ध्यान कार्यक्रम में भाग लिया। उन ध्यानों को करते हुए मेरा मन शांत हो गया, मेरे प्रश्नों का कोई अर्थ नहीं रह गया, और मैंने पाया कि उत्तर मेरे भीतर सदा से मौजूद थे।
 
ओशो के सक्रिय ध्यानों ने मेरा जीवन रूपांतरित कर दिया, और तब 2007 में मैं ओशो …"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  Mixx  Google +
 
 
लोभ
लोभ की प्रकृति को समझना ही पर्याप्त है। तुम्हें उससे छुटकारे के लिए और कुछ करने की आवश्यकता नहीं है; समझ ही सारे उलझाव को सरल कर देगी।

मनुष्य परिपूर्ण है यदि वह अस्तित्व के साथ तारतम्य में है; यदि वह अस्तित्व के साथ तारतम्य में नहीं है तो वह रिक्त है,
 
पूर्णतया रिक्त। और उस खालीपन से लोभ आता है। लोभ उसे भरने के लिए होता है: धन से, मकानों से, फर्नीचर से …"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  Mixx  Google +
 
 
अंतस की आंतरिक लय
तुम भीतरी लय की खोज कर रहे हो, जिसे कभी तुम धन में, कभी सत्ता में,
 
कभी प्रतिष्ठा में, और कभी कई प्रकार के संबंधों में खोजते हो| तुम मांग ही करते रहे हो| तुम इससे भी कुछ श्रेष्ठ के बारे में जानना चाहते हो, तुम श्रेष्ठ के लिए प्यासे हो|  कभी-कभी किसी दिन सामान्य जीवन में भी यह घटता है| न जाने कैसे, अचानक किन्हीं क्षणों में, जब किसी दिन--सुबह तुम जागते हो, सब कुछ तुम्हें ठीक लगने लगता है…"
Read More>>
Share It: Facebook  Twitter  Mixx  Google +
 
जीवन हैं,तो सब कुछ हैं
पुरस्कार प्राप्त ज़ेन टैरो
ओशो रूपांतरण टैरो
 
हमारे वर्तमान बेस्ट सेलर्स
 
सपना यह संसार
"संत रज्जबदास के पदों पर ओशो ने बीस प्रवचनों की श्रृंखला दी है। दस में वे रज्जब के पदों को समझाते हैं तो दस प्रवचन प्रश्नोत्तर है।

आज जिस अनूठे आदमी की वाणी में हम यात्रा शुरू करेंगे, वह आदमी निश्चित अनूठा था। कभी-कभी ऐसे
अनूठे आदमी होते हैं। और उनके जीवन से जो पहला पाठ तुम्हें मिल सकता है, वह यही है। रज्जब की जिंदगी बड़े अदभुत ढंग से शुरू हुई। तुमने सोचा भी न होगा कि ऐसे भी कहीं जिं …"
Share It: Facebook  Google  Mixx  Windows Live
 
वीडियो इम्प्रैशन – अगस्तिना उल्लाशा कैम्फर

 
 
 
 
 
 
           
 
लोकप्रिय लिंक्स
ज़ेन टैरो / कुंडली
मेडिटेशन
मेडिटेशन रिज़ॉर्ट / मल्टीवर्सिटी
लाइब्रेरी / शॉप
सदस्यता / सदस्यता रद्द
संपर्क करें
किसी मित्र को भेजें
ओशो के बारे में सब कुछ
सूचना पत्र संग्रह
CONNECT
Facebook Twitter
Pinterest Google Plus
© 2014 OSHO International
Copyright & Trademark Information
 
मार्च 2014 इंटरनेशनल न्यूज़लेटर
ओशो इंटरनेशनल
410 पार्क एवेन्यू, 15 वीं मंजिल, न्यूयॉर्क, एनवाई 10022